🎬 Salò, or the 120 Days of Sodom (1975) – एक भयावह अनुभव, सिनेमा नहीं एक सदमा
(हिंदी रिव्यू – ब्लॉगर स्टाइल)
"ये फ़िल्म देखना आसान नहीं है। ये मनोरंजन नहीं देती, बल्कि बेचैनी और सोचने पर मजबूर कर देने वाली असहनीय सच्चाइयाँ दिखाती है।"
पिएर पाओलो पाज़ोलिनी की निर्देशित Salò कोई साधारण फिल्म नहीं है। ये कला है, विरोध है, और एक बेहद खतरनाक सत्य का आईना। अगर आपने इसे देखने की हिम्मत की है, तो यकीन मानिए, आप इसे भूल नहीं पाएंगे।
📚 कहानी का सार (Plot Summary)
फ़िल्म की कहानी 1944-45 के फासीवादी इटली की पृष्ठभूमि में आधारित है। चार अमीर और ताकतवर लोग (ड्यूक्स) 18 किशोर लड़के-लड़कियों को अगवा करके एक महल में लाते हैं, जहाँ वो 120 दिनों तक उन्हें शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण की अमानवीय यातनाओं का शिकार बनाते हैं।
यह फिल्म मार्की डे साड की किताब "The 120 Days of Sodom" से प्रेरित है — जो खुद एक विवादित और उत्तेजक साहित्य का नमूना है।
🎭 अभिनय और निर्देशन
पाज़ोलिनी का निर्देशन ऐसा है जैसे कोई बेरहम सर्जन हो — ठंडा, भावहीन, लेकिन अचूक। हर फ्रेम में एक बेचैनी है, एक खामोश डर।
अभिनेता कोई स्टार नहीं हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी और अभिनय इतना असली लगता है कि कई बार दर्शक खुद को असहज महसूस करने लगते हैं। यही इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ा खतरा है।
🎥 सिनेमैटोग्राफी और तकनीकी पक्ष
ब्लूरे वर्जन में फिल्म की खूबसूरत लेकिन ठंडी रंगत और डिटेल्स और ज़्यादा डरावनी लगती हैं। महल का माहौल, एक जेल जैसा दिखता है लेकिन कैमरा उसे एक "शाही नरक" की तरह पेश करता है।
बैकग्राउंड में बजता संगीत फिल्म की विभीषिका के साथ एक अजीबो-गरीब कंट्रास्ट पैदा करता है — जैसे मौत के साथ नाचती कोई धुन।
⚠️ विवाद और सेंसरशिप
यह फिल्म अपने कंटेंट की वजह से कई देशों में बैन हो चुकी है। इसमें नग्नता, यौन हिंसा, मल-त्याग (excrement), यातना और मौत के दृश्य हैं जो कमजोर दिल वालों के लिए नहीं हैं।
लेकिन पाज़ोलिनी का मकसद "झटका देना" नहीं है, बल्कि सत्ता और क्रूरता के उस असली चेहरे को दिखाना है जिसे हम अक्सर अनदेखा करते हैं।
🧠 थीम और संदेश
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फासीवाद – सत्ता जब इंसानियत से ऊपर हो जाती है, तो समाज नरक में बदल जाता है
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वर्ग भेद – अमीरों और गरीबों के बीच सत्ता का दुरुपयोग
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कामुकता बनाम नैतिकता – जब इच्छाओं पर कोई नियंत्रण नहीं रहता
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मानवता की गिरावट – सभ्यता की परत उतारने पर जो सच दिखता है, वह हैवानियत होती है
❌ कमज़ोरियाँ या चेतावनी
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यह "मनोरंजन" नहीं है – बल्कि एक मानसिक आघात है
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ग्राफिक कंटेंट बहुत ही अधिक और बर्दाश्त से बाहर हो सकता है
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सभी के लिए उपयुक्त नहीं है — 18+ दर्शकों के लिए भी चेतावनी के साथ
⭐ अंतिम विचार (Final Verdict)
रेटिंग: 4.5/5 (केवल सिनेमा की दृष्टि से, न कि कंटेंट की पसंद से)
"Salò" एक ऐसी फिल्म है जो आपको पसंद नहीं आएगी, लेकिन फिर भी आप इसे देखना बंद नहीं कर पाएंगे। ये सिनेमा है उन लोगों के लिए जो कला को सिर्फ देखने का नहीं, बल्कि झेलने और समझने का माध्यम मानते हैं।
CLICK HEREयह फिल्म आपको इंसान होने पर शर्मिंदा भी कर सकती है — और शायद यही इसका मकसद है।