"Trauma (2017)" फिल्म समीक्षा
निर्देशक: विक्रम भट्ट
कलाकार: माना शाही, विक्रम भट्ट, शिवम खुराना, रजित कपूर, कुसुम सिंह
शैली: थ्रिलर, हॉरर
सारांश:
फिल्म "Trauma" की कहानी एक दिल दहला देने वाले हादसे के बाद की है, जिसमें मुख्य पात्र अपनी याददाश्त खो देता है और मानसिक आघात से जूझता है। यह एक थ्रिलर फिल्म है जिसमें जटिल रिश्ते, मनोवैज्ञानिक दबाव और भूतिया घटनाओं का समावेश है। फिल्म के केंद्र में एक महिला (माना शाही द्वारा निभाई गई) है, जो एक भूतिया हादसे के बाद अपनी जिंदगी में उथल-पुथल से जूझ रही है। फिल्म में मानसिक आघात और तनाव से जुड़ी कई जटिलताओं को दिखाया गया है, और यह दर्शाता है कि किस तरह से एक इंसान अपने मानसिक आघात से उबरने की कोशिश करता है।
कहानी:
फिल्म की शुरुआत एक गंभीर हादसे से होती है, जिसमें मुख्य पात्र के परिवार के सदस्य मारे जाते हैं। इसके बाद, वह महिला मानसिक आघात से जूझने लगती है और अपने आसपास की घटनाओं को समझने की कोशिश करती है। धीरे-धीरे, फिल्म में डर, सस्पेंस और मनोवैज्ञानिक पहलुओं का मिश्रण देखने को मिलता है। उसके साथ एक पुलिस अधिकारी (विक्रम भट्ट) है, जो इस मामले की जांच करता है। पूरी फिल्म में हम मानसिक आघात और डर की भावना को महसूस करते हैं।
प्रदर्शन:
माना शाही ने अपनी भूमिका को बहुत अच्छे से निभाया है। उनका अभिनय दर्शकों को जोड़ता है और उनके मानसिक संघर्ष को दिखाने में सक्षम है। विक्रम भट्ट की भूमिका भी फिल्म में एक निर्णायक भूमिका में है, और उनका अभिनय सटीक लगता है। फिल्म के अन्य सहायक कलाकार भी अपनी भूमिकाओं में प्रभावी नजर आते हैं।
निर्देशन और स्क्रीनप्ले:
विक्रम भट्ट ने फिल्म का निर्देशन प्रभावी तरीके से किया है। हालांकि, फिल्म में कई जगह पर सस्पेंस को थोड़ा लंबा खींचा गया है, फिर भी कहानी का ताना-बाना दिलचस्प बना रहता है। फिल्म के स्क्रीनप्ले में भी कई जगह पर ट्विस्ट और टर्न हैं जो दर्शकों को बांधे रखते हैं। फिल्म की गति धीमी हो सकती है, लेकिन उसके बावजूद, निर्देशक ने भूतिया और थ्रिलर एलिमेंट्स को अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है।
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर:
फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर थ्रिलर मूड को सही तरीके से स्थापित करते हैं। संगीत फिल्म की डरावनी और तनावपूर्ण भावना को बढ़ाता है। बैकग्राउंड स्कोर बहुत प्रभावी है और फिल्म के सस्पेंस को अच्छे से बढ़ाता है।
कुल मिलाकर:
"Trauma (2017)" एक प्रभावी थ्रिलर फिल्म है, जो मानसिक आघात और डर के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर केंद्रित है। फिल्म में कई रोमांचक और डरावने पल हैं जो दर्शकों को अपनी सीट से बांधे रखते हैं। हालांकि, यह फिल्म कुछ स्थानों पर थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन इसके बावजूद इसे एक बार जरूर देखा जा सकता है, खासकर यदि आप थ्रिलर और हॉरर फिल्मों के शौकिन हैं।